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Poetry

ख़ामोशी से क़त्ल करना कोई आपसे सीखे,
ये शाम तो यूँ ही बदनाम है,
आपकी आँखों से पिए जाम का नशा उतारे नहीं उतरता,
कम्बख्त ये शराब तो यूँ ही बदनाम है।

Copyright © 2018, Aashish Barnwal,  All rights reserved.
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क्या बताऊँ उसके बारे में,
उसे देखता हूँ तो लगता है जैसे पूरी क़ायनात मुस्कुरा उठी हो,
जैसे ठंडी वसंती फ़िज़ा बहने लगी हो,
जैसी सारी समस्याएं काफूर हो गई हो,
क्या बताऊँ उसके बारे में,
उससे बातें करता हूँ तो वक़्त थम जाता है,
होश खो सा जाता है,
क्या बताऊँ उसके बारे में,
जब वो हसती है तोः खुद को भूल जाता हूँ,
क्या बताऊँ उसके बारे में,
लफ्ज़ कम पड़ जायेंगे,
वक़्त कम पड़ जायेगा

Copyright © 2017, Aashish Barnwal,  All rights reserved.
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बेवजह तुमसे मिलने के बहाने बनाता हूँ,
इक गुफ्तगू को खाली शाम तलाशता हूँ,
पता है कि तुम मना कर दोगी,
बस उम्मीदों के सहारे दिल को ढाढस बंधाता हूँ।

Copyright © 2017, Aashish Barnwal,  All rights reserved.
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कुछ अलग ही कशिश थी उस शाम की हवाओं में,
ना चाहते हुए भी दिल बन्ध सा गया था,
निगाहें थम गई थी,
उसके चेहरे पर जम सी गई थी,
शायद हमारी बातों में ही कोई कमी रह गई होगी,
वरना एक और मुलाक़ात का हफ़्तों इंतजार ना करना पड़ता।

Copyright © 2017, Aashish Barnwal,  All rights reserved.
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हमारी कहानी उसी दिन ख़त्म हो गई,
जिस वक़्त हमारी नज़रें तुमसे मिली,
शायद इश्क़ हो गया है तुमसे,
वरना हर मुस्कराहट की वजह तुम ना होती।

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तुम्हे सोचते सोचते रात यूँ ही निकल जाएगी,
इक तूफ़ान सा है दिल में, नींद कहाँ आएगी,
कल कि मुलाक़ात ना जाने क्या अंजाम लाएगी,
तेरे चेहरे पर मुस्कान आएगी या ख्वाइश अधूरी रह जाएगी।

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कुछ बातें बिन कहे ब्यान हो जाती हैं,
कुछ इशारे, आँखें सब कह जाती हैं,
इक शाम यूँ ही मोहब्बत हो जाती है,
और किसी शायर को उसकी शायरी मिल जाती है।

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राह चलते वक़्त से मुलाक़ात हो गई,
दिल किया कि कुछ तोहफे दे दूँ,
जेबों में हाथ डाला तो बस लम्हों को पाया,
कुछ हँसी के, कुछ गम के,
कुछ सुख के, कुछ रम के,
वक़्त ने कहा रख ले इन्हे अपने पास,
इन लम्हों में ही तेरी ज़िन्दगी है,
पहली नौकरी कि ख़ुशी, पहले प्यार का एहसास,
माँ बाप के आँखों में खुशियों कि बरसात,
जब तुम बूढ़े हो जाओगे,
जब दुनिया में तुम्हारी जरुरत कम होगी,
तब यही लम्हे तुम्हारे जीने का सहारा होंगी।

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