replica watches
https://luxurywatch.io

replica watches uk

www.bestwatchreplica.co

http://www.rolex-replica.me/
discount replica watch

love

कुछ बातें बिन कहे ब्यान हो जाती हैं,
कुछ इशारे, आँखें सब कह जाती हैं,
इक शाम यूँ ही मोहब्बत हो जाती है,
और किसी शायर को उसकी शायरी मिल जाती है।

Copyright © 2017, Aashish Barnwal,  All rights reserved.
Read more

राह चलते वक़्त से मुलाक़ात हो गई,
दिल किया कि कुछ तोहफे दे दूँ,
जेबों में हाथ डाला तो बस लम्हों को पाया,
कुछ हँसी के, कुछ गम के,
कुछ सुख के, कुछ रम के,
वक़्त ने कहा रख ले इन्हे अपने पास,
इन लम्हों में ही तेरी ज़िन्दगी है,
पहली नौकरी कि ख़ुशी, पहले प्यार का एहसास,
माँ बाप के आँखों में खुशियों कि बरसात,
जब तुम बूढ़े हो जाओगे,
जब दुनिया में तुम्हारी जरुरत कम होगी,
तब यही लम्हे तुम्हारे जीने का सहारा होंगी।

Copyright © 2017, Aashish Barnwal, All rights reserved.
Read more

आपकी आँखों के पन्नो में,
इतने गहरे राज़ हैं,
लाखों हमने पढ़ लिए,
फिर भी बेशुमार हैं,
उन समुन्दर सी आँखों ने,
हमे यूँ ब्यान करना सिखा दिया,
हमे तो दो लफ़्ज़ों का सलीका ना था,
और आपके इश्क़ ने हमे शायर बना दिया।

Copyright © 2017, Aashish Barnwal,  All rights reserved.
Read more

वाक़िफ़ हम भी ना थे उनसे,
फिर भी हमने हाँ कह दिया,
उनकी अदा हि कुछ ऐसी थी,
ना चाहते हुए भी दिल फिसल गया।

Waqif hum bhi na the unse,
Phir bhi humne haan keh diya,
Unki ada hi kuch aisi thi,
Na chahte hue bhi dil fisal gaya.

Copyright © 2017, Aashish Barnwal,  All rights reserved.
Read more

ये सूरज कि किरणें तेरी रेशमी ज़ुल्फ़ों को चूमते हुए,
ये बर्फीली वादियों कि सफेदी तेरी नूरानी अँखियाँ को चमकाते हुए,
ये हवा कि ख़ामोशी के बीच तेरे हंसने कि आवाज़,
कैसे भुलूंगा मैं,

ये तेरे यौवन कि खुशबू चांदनी को पिघलाती हुई,
ये तेरे चेहरे कि रौशनी तारों को शर्माती हुई,
ये रात कि ख़ामोशी में तेरे गाने कि आवाज़,
कैसे भुलूंगा मैं,

ये तेरे आँखों कि नटखटी मस्तियाँ,
ये तेरे गुलाबी होठों कि मुस्कुराहटें,
ये लोगों के कदमो तले तेरी आहट का एहसास,
कैसे भुलूंगा मैं,
कैसे भुलूंगा मैं।

Yeh suraj ki kiranein teri reshmi zulfon ko chumte huye,
Yeh barfili wadiyaon ki safedi teri nurani ankhiyan ko chamkate huye,
Yeh hawa ki khamoshi ke bich tere hansne ki aawaz,
Kaise bhulunga main,

Yeh tere yauvan ki khushboo chandni ko pighlati hui,
Yeh tere chehre ki roshni taaron ko sharmati hui,
Yeh raat ki khamoshi mein tere gaane ki aawaz,
Kaise bhulunga main,

Yeh tere aankhon ki natkhati mastiyan,
Yeh tere gulabi hothon ki muskuratein,
Yeh logon ke kadmo tale teri aahat ka ehsas,
Kaise bhulunga main,
Kaise bhulunga main.

Copyright © 2017, Aashish Barnwal,  All rights reserved.
Read more

Meri diary ke kore pannon se,
Tum meri chahat ko mat aaqna,
Yeh ishq hi aisa hai ghalib,
Kambakht lafz kam pad jate hain.

मेरी डायरी के कोरे पन्नो से,
तुम मेरी चाहत को मत ऑकना,
ये इश्क हि ऐसा है ग़ालिब,
कम्बखत लफ्ज़ कम पड़ जाते हैं।

Copyright © 2017, Aashish Barnwal,  All rights reserved.
Read more

Har roz diary khol kar,
Bas yahi socha karta hun,
Kya likhun unke baare mein,
Khud se pucha karta hun,
Likhte unke baare mein hain,
Jinhe hum bakhubi jante hain,
Yahan toh barso beet gaye,
Phir bhi hum anjaan hain.

हर रोज़ डायरी खोल कर,
बस यही सोचा करता हूँ,
क्या लिखूं उनके बारे में,
खुद से पूछा करता हूँ,
लिखते उनके बारे में हैं,
जिन्हे हम बखूबी जानते हैं,
यहाँ तो बरसो बीत गए,
फिर भी हम अनजान हैं।

Copyright © 2017, Aashish Barnwal,  All rights reserved.
Read more

Unse milne ka maza hi kuch alag hai,
Hum yun hi apna hosh na kho baithe the,
Unki sharbati aankhein aur reshmi julfein,
Kambakht dil unka gulam ho baitha tha,
Bas yun kahein ki nasha unki aankhon mein tha,
Aur madhosh hum hue ja rahe the.

उनसे मिलने का मज़ा हि कुछ अलग है,
हम यूँ हि अपना होश ना खो बैठे थे,
उनकी शरबती आँखें और रेशमी जुल्फें,
कम्बख्त दिल उनका गुलाम हो बैठा था,
बस यूँ कहें कि नशा उनकी आँखों में था,
और मदहोश हम हुए जा रहे थे।

Copyright © 2017, Aashish Barnwal,  All rights reserved.
Read more

Ittefaq bhi badi azeeb cheez hai,
Jinse milne ko hum mahino taras rahe the,
Unka deedar yun chalte chalte ho gaya,
Waise toh hum thehre shabdon se khelne wale,
Unhe dekh lafzon ka karwan ruk gaya,
Hoth sile ke sile reh gaye,
Aur aankhon hi aankhon mein ishara ho gaya,
Unki aankhon ka nasha yun chadha til til,
Yeh pagal dil phir se unka deewana ho gaya.

इत्तेफ़ाक़ भी बड़ी अजीब चीज़ है,
जिनसे मिलने को हम महीनो तरस रहे थे,
उनका दीदार यूँ चलते चलते हो गया,
वैसे तो हम ठहरे शब्दों से खेलने वाले,
उन्हें देख लफ़्ज़ों का कारवां रुक गया,
होठ सिले के सिले रह गए,
और आँखों हि आँखों में इशारा हो गया,
उनकी आँखों का नशा यूँ चढ़ा तिल तिल,
ये पागल दिल फिर से उनका दीवाना हो गया।

Copyright © 2017, Aashish Barnwal,  All rights reserved.
Read more

Kal shaam anayas unse mulaqat ho gai,
Phir se wahi purane lamhe yaad dila gai,
Jakhm waise hi bhare na the dil ke,
Us par ek aur gehra waar kar gai,

Mast befikar tha apni zindagi mein,
Inn khushiyon mein darar kar gai,
Bhul gaya tha lafzon mein byaan karna,
Ek baar phir mujhe shayar bana gai.

कल शाम अनायास उनसे मुलाक़ात हो गई,
फिर से वही पुराने लम्हे याद दिला गई,
जख्म वैसे हि भरे ना थे दिल के,
उस पर एक और गहरा वार कर गई,

मस्त बेफिक्र था अपनी ज़िन्दगी में,
इन खुशियों में दरार कर गई,
भूल गया था लफ़्ज़ों में ब्यान करना,
एक बार फिर मुझे शायर बना गई।

Copyright © 2017, Aashish Barnwal,  All rights reserved.
Read more